उत्तराखंड भर्ती प्रक्रिया का ये बुरा हाल ,आखिर जिम्मेदार कौन ?
एक वायरल वीडियो ने प्रशासन और व्यवस्था की पोल खोल दी है। आर्मी भर्ती के लिए उत्तराखंड में अन्य राज्यों के अलावा यूपी के विभिन्न जिलों से आए युवाओं को पिथौरागढ़ भेजने में प्रशासन पूरी तरह से नाकाम रहा।
रोडवेज बस स्टेशन पर युवाओं को पर्याप्त ट्रांसपोर्ट सुविधा नहीं मिली, जिसके बाद प्रशासन और आरटीओ विभाग ने कड़ी मशक्कत की। अंततः उत्तराखंड रोडवेज, निजी और स्कूल बसों के जरिए युवाओं को पिथौरागढ़ भेजा गया। हालात इतने खराब थे कि कुछ युवाओं को अपनी जान जोखिम में डालते हुए रोडवेज बस की डिग्गी में सफर करना पड़ा। टनकपुर का ये वायरल video इस बात का गवाह है कि किस तरह प्रशासनिक लापरवाही के चलते सेना में भर्ती के इच्छुक युवाओं को असहनीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
टेरिटोरियल आर्मी (टीए) की भर्ती प्रक्रिया में बेरोजगार युवाओं की उमड़ी भीड़ ने पिथौरागढ़ और आसपास के शहरों में पूरी व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया। बसों की भारी कमी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण हल्द्वानी से भी पिथौरागढ़ तक अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हजारों युवा भर्ती के लिए ट्रेन से हल्द्वानी पहुंचे, लेकिन पिथौरागढ़ जाने के लिए बसों का नदारद होना समस्याओं का कारण बना। रोडवेज बस स्टैंड पर सुबह से ही हज़ारों युवाओं की भीड़ जमा हो गई। कई युवा बसों के बोनट और छतों पर चढ़ गए, और दोनों गेटों के बाहर जाम लग गया। बसों और टैक्सियों के लिए झगड़े की स्थिति बनने पर तिकोनिया में पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा, लेकिन हालात पर काबू नहीं पाया जा सका। प्रशासन की सुस्ती के कारण युवा ठंड में स्कूलों के फर्श पर रात बिताने को मजबूर हुए।
हल्द्वानी की सड़कों पर भर्ती में शामिल युवाओं की भीड़ ने यातायात व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। कई घंटे तक गाड़ियां जाम में फंसी रही। रोडवेज विभाग ने 94 बसों और 67 टैक्सियों की व्यवस्था करने का दावा किया, लेकिन यह भी नाकाफी साबित हुआ। भीड़ के सामने पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से बेबस नजर आए। भीड़ नियंत्रण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि इस भर्ती ने बेरोजगारी और प्रशासनिक खामियों की सच्चाई को उजागर किया है।