उत्तराखंड: स्वरोजगार से बनाई इस महिला ने अपनी अलग पहचान, महिला सशक्तिकरण की पेश की अनोखी मिसाल

Uttarakhand News : देवभूमि की नारियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। इसी कड़ी में आज हम आपको स्वरोजगार से अपनी पहचान बनाने वाली एक ऐसी ही महिला से रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली है।

जी हां आज हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले की खत्यारी ग्राम पंचायत मनोज विहार कॉलोनी की रहने वाली कमला की। कमला भंडारी ने महिला सशक्तिकरण की अनोखी मिसाल पेश की है।

दरअसल कमला मौन पालन के माध्यम से प्रतिवर्ष लगभग 6 कुंटल तक का शहद का उत्पादन आसानी से कर लेती है। कमला ने मौन पालन को ही अपना स्वरोजगार बनाया है । कमला के द्वारा बनाए गए शहद की क्षेत्र में काफी मांग है।

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कमला ने खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के माध्यम से मौन पालन करने का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। कमला ने मौन पालन की शुरुआत अपने घर से ही थी, जिसमें उन्होंने 2013 में अपने घर पर ही 2 बक्सों के साथ मौन पालन शुरू कर दिया था।

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शुरुआत में कमला को शहद पालन में थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन फिर धीरे-धीरे लोग उनके घर पर आकर ही शहद खरीद कर ले जाने लगे।

कमला जहां मौन पालन से अच्छा खासा पैसा कमा रही है वहीं दूसरी ओर वह महिलाओं को भी इस कार्य के लिए प्रेरित करती हैं । ताकि महिलाएं भी स्वावलंबी बन सके । कमला ने अब तक 50 से अधिक महिलाओं को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण भी दिया हुआ है । इसके साथ ही उन्हें मधुमक्खी के बॉक्स भी उपलब्ध करवाए हैं।

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कमला के द्वारा बनाए गए शहद का मूल्य 1 किलो लगभग ₹700 का है। कमला शहद द्वारा लगभग 4 लाख तक की आय अर्जित कर लेती हैं।

कमला स्त्रियों को यह संदेश देती है की वह स्वयं के स्वरोजगार से पैसे

कमा सकती हैं।