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उत्तराखंड: देवभूमि में कलियुग की सावित्री बनी दो महिलाएं, जानिए कैसे

Uttarakhand News : देवभूमि की दो महिलाओं ने ऐसा काम किया है कि मानो कलियुग में सतयुग वापस आ गया हो। रुद्रप्रयाग की बिन्दू और रीना ने एक दूसरे के पति की जिंदगी बचाई है। उन्होंने एक दूसरे के पति को क्रॉस किडनी ट्रांस्प्लांट के तहत किडनी देकर बचाया है। इसकी चर्चा पूरे डोईवाला में हो रही है।

आपने भी सतयुग की वो कहानी सुनी होगी जिसमें सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा करती है। वह यमराज से अपने पति को बचाती है। ठीक उसी तरह देवभूमि में भी दो महिलाओं ने मिसाल पेश की है। दरअसल रुद्रप्रयाग निवासी 36 वर्षीय ईश्वर चंद की दोनों किडनी खराब होने के चलते वह हेमोडायलिसिस पर थे। दूसरी तरफ रुद्रप्रयाग के बानी गांव निवासी 42 वर्षीय योगेश कुमार भी किडनियों के खराब होने के बाद डायलिसिस पर ईश्वर चंद्र की पत्नी रीना और योगेश की पत्नी बिन्दू अपनी अपनी एक किडनियां अपने पति को देने के लिए तैयार थीं। लेकिन दोनों का ब्लड ग्रुप अपने पति से मैच नहीं हो रहा था। इसलिए दोनों ही अपने पतियों को किडनी नहीं दे सकती थीं। हिमालयन हास्पिटल के नेफ्रोलोजिस्ट डा. विकास चंदेल ने दोनों परिवार को स्वैप (क्रास किडनी ट्रांसप्लांट) के बारे में बताया।

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इस प्रक्रिया में एक परिवार का सदस्य दूसरे परिवार को और दूसरे परिवार का सदस्य पहले परिवार को किडनी डोनेट कर सकता है। खास बात किडनियों व ब्लड ग्रुप के मैच होने की होती है। अच्छी बात ये रही कि जांच में बिन्दू का ईश्वर से और रीना का योगेश से ब्लड ग्रुप मैच हो गया। जिसके बाद डॉक्टरों ने ऑपरेशन को हामी भर दी।

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बता दें कि ट्रांसप्लांट टीम के डा. किम जे मामिन, डा. शहबाज अहमद, डा. विकास चंदेल, डा. राजीव सरपाल, डा. शिखर अग्रवाल, डा. करमवीर सिंह, एनेस्थिसिया डा. पारुल जिदल, डा. अभिमन्यु पोखरियाल, डा. दीप्ति मेहता, डा. दिव्या अग्रवाल, डा, आरती राजपूत, डा. ज्योति, रेडियोलाजिस्ट डा. ममता गोयल की देखरेख में प्रक्रिया को अंजाम दिया गया।

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गौरतलब है कि किडनी ट्रांसप्लांट की ये प्रक्रिया ना सिर्फ लंबी बल्कि जटिल भी होती है। बहरहाल ये प्रक्रिया एक दिन में निपटा ली गई। इस सफल ट्रांसप्लांट के बाद दोनों मरीज की किडनी सामान्य रूप से काम कर रही हैं। इस ट्रांसप्लांट में समन्वयक जगदीप शर्मा का भी साथ रहा। इस मौके पर पूरी टीम को बधाई मिल रही हैं। साथ ही दोनों महिलाओं की भी खूब तारीफ हो रही है।