उत्तराखंड- यहां पिरुल बना स्वरोजगार का माध्यम, ऐसे मिलेगा रोजगार

भीमताल/नैनीताल- उत्तराखंड की जंगलों में इन दिनों आग लगने की घटनाएं सामान्य है और पिरूल जंगलों में बड़ी मात्रा में होने से आग तेजी से फैलती है लिहाजा उसके निस्तारण के लिए अब इसे स्वरोजगार से जोड़ा गया है लिहाजा आग की एक ऐसा की

घटनाओं को रोकने के लिए प्रचुर मात्रा में बायोमास के रूप में उपलब्ध पिरूल ( छिड़ की पत्ती) एकत्रीकरण का कार्य स्वयं सहायता समूह बल्दियाखान द्वारा प्रारम्भ कर दिया गया है। यह जानकारी देते हुए मुख्य विकास अधिकारी डॉ संदीप तिवारी ने बताया कि बल्दियाखान से पिरूल एकत्रीकरण का कार्य शुरू किया गया है। सभी खंड विकास अधिकारी को निर्देशित किया है कि समस्त स्वयं सहायता समूह के सहयोग से पिरूल संग्रहण का कार्य कराया जाय। इससे पर्यावरण स्वच्छ, लोगों की आर्थिकी सशक्त व पिरूल के साफ हो जाने से वनाग्नि की घटनाओं पर नियंत्रण व रोकथाम लगेगी।

जनपद की स्वयं सहायता समूह द्वारा संग्रहित किये गए पिरूल को औद्योगिक विकास के लिये वन विभाग के माध्यम से फैक्टरी की मांग को पूरा किया जाएगा। इसके एवज में महिलाओं को रुपये 2 प्रति किलोग्राम की दर से मानदेय दिया जाएगा। सरकार द्वारा पिरूल से कोयला व बिजली बनाने के संयत्र स्थापित करने पर भी जोर दिया गया है।