उत्तराखंड : Happy birth day पिथौरागढ़, आप भी दीजिए बधाई

Uttarakhand News : देवभूमि जहां एक ओर देवताओं के वास स्थान के लिए विश्व प्रसिद्ध है वहीं दूसरी ओर ये अपनी नैसर्गिक खूबसूरती के लिए भी दुनिया में जानी जाती है। यदि कोई एक बार उत्तराखंड आएगा तो इस बात पर कोई शक नहीं है कि उसका दिल यहां की खूबसूरत वादियों में रम जाएगा।
उत्तराखंड जहां एक ओर खूबसूरत है वहीं दूसरी ओर यहां की हसीन वादियों में एक अजीब सा सुकून महसूस होता है , एक अलग सा आकर्षण है यहां के वातावरण में ।
जब बात पहाड़ों की हो तो भला पिथौरागढ़ कैसे पीछे रह सकता है। पिथौरागढ़ भी एक खूबसूरत जगह है उत्तराखंड की। और आज के ही दिन सालों पहले देश और प्रदेश के नक्शे में पहली बार जिला पिथौरागढ़ का नाम दर्ज हुआ था । आज ही के दिन यानी कि 24 फरवरी 1960 से पहले पिथौरागढ़ जिला अल्मोड़ा की तहसील के रूप में जाना जाता था। यदि पुरानी बातें मानी जाए तो इसका पुराना नाम सोर घाटी के रूप में नक्शे में दर्ज हुआ था, जबकि ब्रिटिश दस्तावेजों में इसे सोर एंड जोहार परगना कहा गया।
ऐसा माना जाता है कि इस शहर में 7 झीलें हुआ करती थी। जो समय के साथ से बाद में पठारी भूमि बन गई । वैसे तो पिथौरागढ़ के स्थापना को लेकर बहुत सारी मान्यताएं एवं कहानियां हैं ऐसा माना जाता है कि चंद्र वंश के राजा भारती चंद्र के राज्य काल के समय जो कि लगभग 1937 से 14 से 50 तक रहा उनके बेटे रत्नचंद ने नेपाल के राजा के साथ युद्ध करके उसे परास्त कर सोर घाटी पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। और साल 1449 के आसपास इसे कुमाऊं में मिला लिया गया, उसके राज्य काल के समय पृथ्वी गुसाईं ने पिथौरागढ़ नाम से यहां पर एक किला बनवाया बस इसी के बाद से इसे इसे पिथौरागढ़ के नाम से जाना जाने लगा।
खैर इसकी स्थापना को लेकर जो भी मान्यताएं हैं वह सब कहीं ना कहीं सुनने को मिलती है । लेकिन देश प्रदेश के नक्शे में पिथौरागढ़ पहले तहसील के रूप में जाना जाता था 24 फरवरी 1960 से पहले इसे एक तहसील के रूप में पहचान मिली थी किंतु 24 फरवरी 1960 से इसे जिले के रूप में नक्शे में दर्ज किया गया।