उत्तराखंड: 18 साल के युवा को मदद की गुहार! रक्त कैंसर से जूझ रहा है मनमोहन!

अपने परिवार के लिए भविष्य का सुनहरा सपना बुन रहे होनहार नौजवान को जब रक्त कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने की पुष्टि हो जाए,तो उस परिवार के लिए ऐसी खबर किसी वज्रपात से काम नहीं होती है। ऐसा ही दुर्भाग्यपूर्ण सूचना जब विकासखंड गैरसैंण के दिवाधार-खंसर के 18 वर्षीय मनमोहन के परिजनों को पिछले 6 माह पूर्व मिली तो,उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। जिसके बाद आनन-फानन में युवक को एम्स ऋषिकेश में भर्ती करवाया गया,जहां अभी भी उसका इलाज चल रहा है। इस बीच ईलाज में आयुष्मान कार्ड की 5 लाख की सीमा समाप्त हो चुकी है,जबकि अस्पताल प्रशासन द्वारा बोन मैरो ट्रांसप्लांट को अंतिम विकल्प बताते हुए फिलहाल शुरुआती तौर पर 10 लाख रुपए खर्च का एस्टीमेट दिया गया है।जिसको लेकर ट्रक चलाने वाले गरीब पिता के लिए ये एक और झटका लगने जैसी स्थिति है,परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति के चलते पहले ही कर्ज लेकर 6 माह से बेटे का इलाज कर रहे परिवार के लिए शुरुआती तौर पर 10 लाख रुपए इकट्ठे करना एक और मुसीबत का सामने करने जैसा है।

मदद को युवा चला रहे मुहिम⤵️

इधर परिवार को राहत देने के लिए कुछ स्थानीय युवाओं ने इंटरनेट मीडिया पर मदद की मुहिम चलाई है,जिसके बाद कुछ लोगों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाए हैं लेकिन इतनी बडी धनराशि इकट्ठा करने की मुहिम अभी शुरुआती दौर में ही है।जिससे परेशान परिवार जहां एक तरफ अस्पताल के बिस्तर पर पड़े नौजवान बेटे को देखकर अपने आंसुओं को नहीं रोक पाता है,वहीं उसके ठीक होने की उम्मीद में एक तरफ मां अपने जेवर बेचने को तो,पिता जमीन बेचकर बेटे का इलाज करने को तैयार है।

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ऐसे में परिवार के लिए उम्मीद की किरण बनकर आए क्षेत्र के नौजवानों ने मदद का बीड़ा उठाते हुए लोगों से छोटी-छोटी धनराशि मदद के रूप में देने की अपील की,जिसके बाद से डेढ़ से 2 लाख रुपये तक की धनराशि जमा भी हो गयी है। लेकिन अभी बड़ी धनराशि इलाज के लिए जुटाना जरूरी है।

सरकार से मदद की दरकार विधायक से लगाई गुहार⤵️

मामले में सरकार से मदद मांगने के लिए परिवार ने कर्णप्रयाग विधायक अनिल नौटियाल के माध्यम से मुख्यमंत्री राहत कोष से इलाज के लिए धनराशि की गुहार लगाई है,जिसको लेकर विधायक कहते हैं कि, सरकार स्तर पर नौजवान की जान बचाने को ईलाज खर्च के लिए अधिक से अधिक धनराशि की मांग मुख्यमंत्री से की गई है।वहीं क्षेत्र के युवा हुकम सिंह,संजय रावत,बलदेव नेगी,संजय पुंडीर ने कहा कि पीड़ित परिवार की मदद के सभी लोगों से अपील की गई है इसके बाद कई लोगों ने पीड़ित के खाते में धनराशि भेजी है,वहीं व्यक्तिगत संपर्क करके भी धनराशि जुटाई जा रही है,कठिन वक्त में सभी परिवार के साथ खडे हैं,ताकि युवक की जान बचाई जा सके।

पिता ड्राइवर मां करती हैं खेतीबाडी⤵️

आईटीआई प्रथम की पढ़ाई कर रहे 18 वर्षीय मनमोहन,तीन बहनों के इकलौते भाई हैं।पिता गंगा सिंह ट्रक ड्राइवर तो मां खेती-बाड़ी व पशुपालन करके परिवार चलाती हैं।जबसे बेटे को रक्त कैंसर होने की बात पता चली है,मां दिन में रोते-रोते कई बार बेहोश हो जाती है। बेटे के इलाज के लिए मां जेवर बेचने को तैयार है,तो पिता जमीन बेचकर भी बेटे को बचाने को तैयार हैं।

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भाई की जान बचाने को बहन देहदान तक को तैयार⤵️

इस बीच बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए बहन का ग्रुप मैच होने पर परिवार ने जहां राहत की सांस ली है,वहीं 12वीं में पढ़ने वाली छोटी बहन संगीता भावुक होकर कहती हैं कि भाई की जान बचाने को उसको देहदान भी करनी पड़ी,तो वो तैयार है।मां गोविंदा देवी कहती है कि पैसों का इंतजाम हो जाए तब मेरे बेटे की जान बच जाए।

6 माह पहले पता चली थी बिमारी⤵️

मामले में 6 माह पहले जुलाई 2024 में गले में दर्द की शिकायत होने के बाद मनमोहन ने हफ्ते भर स्थानीय बाजारों से दवाएं और इंजेक्शन लिए। लेकिन उसके बाद भी दर्द और कमजोरी बढ़ती रही,जिसके बाद मनमोहन को श्रीनगर बेस अस्पताल में दिखाया गया,जहां टेस्ट में अस्थि मज्जा कैंसर के लक्षण दिखाई देने पर एम्स ऋषिकेश रेफर किया गया,जहां रक्त विकार से संबधित अस्थि मज्जा कैंसर की पुष्टि हुई।

क्या है होता है बोन मैरो कैंसर⤵️

बोन मैरो कैंसर यानी की अस्थि मज्जा कैंसर रोग में हड्डियों के अंदर स्थित स्पंजी ऊतक मज्जा का कार्य,विभिन्न आवश्यक रक्त कोशिकाओं का निर्माण करना होता है।मज्जा में गड़बड़ी होने पर सामान्य रक्त कोशिकाओं की जगह असामान्य रक्त कोशिकाओं का निर्माण शुरू हो जाता है,जिससे रक्त संक्रमित होने लगता है।

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क्या है इलाज⤵️

इसका मुख्य ईलाज बोन मैरो ट्रांसप्लांट है। जिसमें किसी स्वस्थ व्यक्ति से ग्रुप मैच होने पर उसकी अस्थि मज्जा से तैयार स्टेम सेल मरीज के शरीर में डाला जाता है,ओर धीरे-धीरे संक्रमित रक्त को शरीर से बाहर निकाला जाता है।जिसमें 3 से 5 साल का समय लगता है।

क्या है खर्च⤵️

बोन मैरो कैंसर के इलाज पर औसतन खर्च सीमा 10 से 30 लाख रुपए तक आती है।

आर्थिक सहायताओं का सच⤵️

केंद्र सरकार के निर्देशों पर प्रत्येक राज्य मुख्यमंत्री राहत कोष की स्थापना कर,गंभीर रूप से बीमार आपदा पीड़ितों व गरीब परिवारों को बेटियों की शादी के लिए मदद करती है।लेकिन वर्तमान में राजनैतिक दल सरकार आने पर आर्थिक सहायता के नाम पर इसकी बंदरबांट करते नजर आते हैं।जिससे 70% से अधिक धनराशि अपने कार्यकर्ताओं को खुश करने के लिए खर्च कर देते हैं।जिसमें 3 हजार से 5 हजार तक की धनराशि ही ज्यादा बांटी जाती हैं।वहीं वोट बैंक बढ़ाने के लिए भी कई बार गैर जरूरतमंद लोगों को धनराशि दी जाती है।जिससे जरूरतमंद पीड़ितों तक या तो धनराशि पहुंची नहीं पाती या फिर छोटी-मोटी धनराशि देकर पल्ला झाड़ लिया जाता है।जो धनराशि किसी के जान बचाने के काम आ सकती है,उस धनराशि को बिना जांच ओर जरूरत के बांटना संविधान के विपरीत है।जिस पर सरकार और जिला प्रशासन को ऐसी आर्थिक सहायताओं की जांच कर गलत तरीके से सहायता लेने और देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जिससे भविष्य में ऐसी प्रवृति पर रोक लगाई जा सके।