Uttarakhand: यहां पुलिस ने धर दबोचा वनों में आग लगाने वालों को!

अलग-अलग आरक्षित वनों में आग लगाने वाले सात लोगों को वन विभाग की टीम ने रंगेहाथों आग लगाते हुए धर दबोचा।

जनपद पौड़ी के लैंसडौन वन प्रभाग के कोटद्वार रेंज में वन विभाग की टीम द्वारा आरक्षित वन क्षेत्र में आग लगाने के आरोप में सात लोगों को आग लगाते हुए रंगेहाथों धर दबोच लिया गया है। पकड़े गए आरोपियों में एक आरोपी नेपाली मूल का मजदूर बताया जाता है। नेपाली मूल के पकड़े गए आरोपी मजदूर को जेल भेज दिया गया है। अन्य आरोपियों के खिलाफ वन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पकड़े गए नेपाली मूल के तीन अन्य साथियों ने भी आरोपी के खिलाफ बयान दिए हैं। भूमि संरक्षण वन प्रभाग लैंसडौन के जयहरीखाल रेंज अधिकारी बीडी जोशी ने बताया कि वनकर्मी कुल्हाड़ के नाप खेतों में लगी आग बुझाने के बाद वापस लौट रहे थे। इसी दौरान एक व्यक्ति कुल्हाड़ मोड़ के समीप सड़क किनारे जंगल में आग लगा रहा था। वनकर्मियों ने उसे आग लगाते हुए रंगेहाथ पकड़ लिया। उसके हाथ में गैस लाइटर भी था, जबकि घटनास्थल से कुछ दूरी पर ही उसके तीन अन्य साथी पाइप लाइन बिछाने का कार्य कर रहे थे। वनकर्मी चारों को पकड़कर रेंज कार्यालय लैंसडौन लाए। रेंज कार्यालय में राजेंद्र, सतीश कुमार और रंजीत सिंह ने नेपाली मजदूर टेकराम द्वारा जंगल में आग लगाए जाने की बात स्वीकार की। उन्होंने बताया कि चारों को पुलिस के हवाले कर दिया गया है। लैंसडौन थाना प्रभारी मोहम्मद अकरम ने बताया कि जंगल में आग लगाने के आरोपी नेपाली मजदूर टेकराम के खिलाफ वन अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। मामले में जल्द ही अग्रिम कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।


आरक्षित वनों में आग लगाने वाले 5 आरोपियों को वन विभाग ने दबोचा है। वन विभाग के अनुसार इन पांचों को खिर्सू के समीप आरक्षित वन में आग लगाते हुए देखा गया। विभाग आरोपियों को अब कोर्ट में पेश करने की कार्रवाई कर रहा है। डीएफओ गढ़वाल वन प्रभाग स्वप्निल अनिरूद्ध ने बताया कि पौड़ी रेंज के तहत खिर्सू में आरक्षित वनों को आग से बचाने के लिए फॉरेस्टर जगदीश नेगी व उनकी टीम गश्त पर तैनात थी। इसी दौरान टीम को पांच लोगों को खिूर्स के समीप आरक्षित वन में आग लगाते हुए दबोच लिया गया। उन्होंने बताया कि आरोपियों के नाम मोसार आलम, नाजेफर आलम, फिरोज आलम, नुरूल व शालेम है। सभी बिहार के रहने वाले हैं। बताया जा रहा है कि ये खिर्सू के चौबट्टा में रहते हैं और मजदूरी करते हैं।