उत्तराखंड : जानिए क्यों है माँ भगवती का बदिया कोट मंदिर इतना खास

Bageshwar News :बदियाकोट स्थित मां भगवती का मंदिर आस्था का अटूट प्रतीक माना गया है ।अत्यंत प्राचीन मंदिर होने के कारण इन दिनों इस मंदिर का सौंदर्यकरण का कार्य बहुत तेजी से शुरू किया गया है । शासन ने इस मंदिर के सौंदर्यकरण के लिए 46 .24 लाख रुपए की राशि दी है । यह मंदिर जहां एक और आस्था का प्रतीक है वहीं दूसरी ओर इसकी जो वास्तुकला है वह अत्यंत खूबसूरत है और भारत का एक अद्भुत नमूना मानी गई है ।

कपकोट के मल्लादानपुर क्षेत्र में स्थित माँ भगवती मंदिर परंपरागत हिमालयी कला का सर्वोच्च नमूना है ।अब पहाड़ भी तेजी से विकसित होते दिखाई देते हैं ।यही कारण है कि विकसित होते पहाड़ों में अब मंदिर भी अपनी परंपरागत शैली में बनाए जाने बंद हो गए हैं और परंपरागत शैली के स्थान पर मुख्यधारा के मंदिरों का प्रभाव अधिक देखने को मिलता है । यही कारण है कि बलिया कोट के इस मंदिर का सौंदर्यकरण परंपरागत हिमालयी शैली में किया गया है ।

यदि इस मंदिर का इतिहास देखा जाए तो प्राचीन काल में पहाड़ों में बने हुए सभी प्रकार के मंदिर ( लगभग सातवीं से दसवीं शताब्दी तक) लगभग इसी शैली के बनाए गए । वहीं दूसरी ओर महासू देवता का मंदिर भी सातवी शताब्दी के स्थापत्य कला का एक शानदार नमूना माना गया है ।इन मंदिरों की शैली के खास होने के कारण ही बाद में बाकी के सभी मंदिर इसी शैली में बनाए जाने लगे क्योंकि इन मंदिरों की खूबसूरती देखते ही बनती है । इस मंदिर के बारे में एक पौराणिक कथा अत्यंत प्रचलित है कि यहां पर प्राचीन काल में निशुंभ नामक एक दैत्य रहा करता था जोकि लोगों को परेशान करता था और उन पर अत्याचार करता था उसके अत्याचारों अधूरा चारों से परेशान होकर लोगों ने मां भगवती से गुहार लगाई जिससे कि माता भगवती ने प्रकट होकर यह कहा कि वह स्वयं कन्या का अवतार लेकर यहां पर आएंगी और निशुंभ का वध करके लोगों को उससे मुक्त कराएंगे और अपने वचना अनुसार माता ने कुछ दिनों पश्चात वहां एक कन्या के रूप में जन्म लिया और उसके पश्चात निशुंभ दैत्य का बंद कर दिया और लोगों को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया।