उत्तराखंड: पौधे बचाएंगे तो भविष्य बचेगा, कि तर्ज पर लामाचौड़ के इस स्कूल ने मनाया वन महोत्सव

Haldwani News: लामाचौड़ स्थित दि हेरिटेज स्कूल में वन महोत्सव मनाया गया, जिसमें प्राथमिक वर्ग में कला और शिल्प जूनियर वर्ग में भाषण प्रतियोगिता तथा सीनियर वर्ग के विद्यार्थियों द्वारा नाटय प्रस्तुति दी गई, जिसके द्वारा वृक्ष जीवन का आधार है का संदेश दिया गया । इस दौरान बच्चों ने वन को बचाने का संकल्प लिया। भारत में प्रतिवर्ष जुलाई माह के पहले सप्ताह को वन महोत्सव के रुप में मनाया जाता है। पूरे 1 सप्ताह तक चलने वाले इस महोत्सव का उद्देश्य मनुष्यों को वृक्षों के प्रति जागरुक करना है, उनकी महत्वता बताना है।

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साल 1960 के दशक में कन्हैयालाल मणिकलाल मुंशी ने इस महोत्सव का आगाज किया था। उनसे पहले 1947 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु, राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद के प्रयासों से वन महोत्सव की शुरुआत की गई थी किन्तु यह सफल नहीं हुआ।

इसके बाद कन्हैयालाल मणिकलाल मुंशी ने इसका फिर से आगाज किया। तब से लेकर आज तक प्रतिवर्ष वृक्षों की महत्वता को ध्यान में रखते हुए वृक्ष महोत्सव जुलाई महीने में मनाया जाता है क्योंकिं जुलाई-अगस्त का महीना वर्षा ऋतु का होता है और पेड़-पौधों के उगने के लिए यह नमी का मौसम अच्छा माना जाता है। इस मौसम में पेड़-पौधे जल्दी उगते हैं। भारत में वृक्षों के संरक्षण के लिए कई त्यौहार, उत्सव मनाए जाते हैं। लेकिन इसके बावजूद पेड़ों के लगातार काटे जाने से हमें कई नुकसान भी हो रहे हैं।

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जैसे बरसात के दिनों की घटती संख्या और वर्षा की घटनाओं की तीव्रता के पीछे पेड़ों को अत्याधिक मात्रा में काटे जाना है। भारत में लंबे समय से बाढ़, सूखा, गर्मी की लहरें, चक्रवात, और अन्य प्राकृतिक आपदाओं ने अपने पैर पसारे हुए हैं। कभी तेज गर्मी से लोग तिलमिलाने लगते हैं तो कभी अंधाधुंध बारिश से, कहीं सूखा पड़ रहा है तो कई ठंड का प्रकोप बढ़ रहा है। नदी, नाले सूखते जा रहें हैं। वन महोत्सव सप्ताह बनाकर पर्यावरण संतुलन करने की भी कोशिश की जाती है।

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