उत्तराखंड : जब संस्कृत से गूंज उठा न्याय के देवता गोल्ज्यू का दरबार

Champawat News : उत्तराखंड और कुमाऊं के महा पूजनीय न्याय के देवता कहे जाने वाले गोल्ज्यू भगवान के दरबार में देवताओं की अति प्राचीन भाषा( जिसे की देववाणी भी कहा गया है )संस्कृत की गूंज से जिला मुख्यालय धन्य हो गया।

संस्कृत विद्वान डॉ कीर्ति बल्लभ शकटा जी ने अपने द्वारा स्वरचित चंपू काव्य में संग्रहित देवालयों की देववाणी संस्कृत में जब स्वरस पाठ किया तो वहां मौजूद सभी लोग आस्था की भक्ति में सराबोर हो उठे इससे पूर्व वैदिक रचनाओं के साथ पंडित श्री हरीश पांडे जी एवं भैरव पांडे जी ने स्वस्तिवाचन और गणपति पूजन करवाया ।

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डॉक्टर शकटा जी ने इन सभी स्तुतियों को अपने चंपू काव्य “उत्तराखंड देवभूमि वैशिष्टीयम ” में संग्रहित किया है । श्री शक्टा जी ने गोल्ज्यू देवता के साथ ही हिंगला देवी ,बालेश्वर, ताड़केश्वर ,मां हाट कालिका, मां गिरिजा, माता कैलाश, मानसरोवर , माँ कोटगाडी सहित उत्तराखंड के तमाम पूजनीय देवताओं एवं देवालयों की स्तुति का पाठ संस्कृत में किया है ।

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इसमें चंपावत से लेकर मानसरोवर यात्रा तक का अति पौराणिक विवेचन सम्मिलित किया गया है ।शीघ्र ही मानसरोवर से उत्तरकाशी विश्वनाथ की यात्रा का विवेचन भी इसमें समाहित किया जाएगा। यह सभी रचनाएं संस्कृत पत्रिका ,और संस्कृत प्रतिभा में लगातार प्रकाशित होती रही है । स्तुति पाठ के मौके पर राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त डॉ बीसी जोशी जी, समाजसेवी श्याम नारायण पांडे जी, देवडांगर देवीलाल वर्मा जी ,श्याम कार्की जी, दिनेश पांडे जी ,ज्योतिषाचार्य प्रकाश पांडे जी,एवं गौरव वर्मा जी आदि मौजूद रहे।

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