उत्तराखंड: चुनाव आयोग की कड़ी फटकार! राहुल गांधी ने कहा 65 लाख वोट कहां गए?

लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) 2025 को लेकर लगाए गए “वोट चोरी” के आरोपों पर चुनाव आयोग (ECI) ने सख्त रुख अपनाया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट शब्दों में कहा कि “चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा है”, और ऐसे आरोप लगाने वालों को या तो हलफनामा दाखिल करना होगा या देश से माफी मांगनी होगी।
चेतावनी – तीसरा विकल्प नहीं- CEC ज्ञानेश कुमार ने कहा, “हलफनामा देना होगा या देश से माफी मांगनी होगी। तीसरा कोई विकल्प नहीं है। अगर सात दिन में हलफनामा नहीं मिलता है, तो इसका सीधा मतलब है कि लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं।”
उन्होंने इस बात पर भी नाराज़गी जताई कि राजनीतिक दल मीडिया में मतदाताओं की तस्वीरें और जानकारी बिना अनुमति के साझा कर रहे हैं। “क्या किसी की माताओं, बहनों और बेटियों की CCTV फुटेज चुनाव आयोग को सार्वजनिक करनी चाहिए? क्या यह निजता का उल्लंघन नहीं होगा?” – ज्ञानेश कुमार
भारतीय निर्वाचन आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया के विरोध और ‘वोट चोरी’ जैसे विपक्षी दलों के आरोपों पर विस्तार से जवाब दिया है। रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान चुनाव आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया पर भी स्थिति स्पष्ट की। अपने जवाब में कहा कि चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रखकर भारत के मतदाताओं को निशाना बनाकर राजनीति की जा रही है। आयोग ने दो टूक शब्दों में कहा कि वह देश के मतदाताओं के साथ चट्टान की तरह खड़ा है।
चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “सबसे पहले हम मतदाताओं के नाम एक संदेश देना चाहते हैं। भारत के संविधान के अनुरूप, भारत का हर नागरिक जो 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो, उसको मतदाता अवश्य बनना चाहिए और मतदान भी अवश्य करना चाहिए।”
राजनैतिक दलों से मतभेद के सवाल पर आयोग ने कहा, “आप सभी जानते हैं कि कानून के अनुरूप, हर राजनैतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन से ही होता है, तो फिर चुनाव आयोग उन्हीं राजनैतिक दलों में भेदभाव कैसे कर सकता है? चुनाव आयोग के लिए न तो कोई विपक्ष है, न कोई पक्ष है, सब समकक्ष हैं। चाहे किसी भी राजनैतिक दल का कोई भी हो, चुनाव आयोग अपने संवैधानिक कर्तव्य से पीछे नहीं हटेगा।”
एसआईआर पर उठते सवालों का जवाब देते हुए आयोग ने कहा, “पिछले दो दशकों से लगभग सभी राजनैतिक दल मतदाता सूची में त्रुटियों के सुधार के लिए मांग करते रहे हैं। इसी मांग को पूरा करने के लिए ही एसआईआर की शुरुआत बिहार से की गई। एसआईआर की प्रक्रिया में सभी मतदाता, बीएलओ और सभी राजनैतिक दलों के नामित बीएलए मिलकर एक प्रारूप सूची तैयार करते हैं।”
आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “प्रारूप सूची में त्रुटियां हटाने के लिए, एक बार फिर, निर्धारित समय परिधि में सभी मतदाता और राजनैतिक दल मिलकर अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं। इसके लिए बिहार के एसआईआर में 1 अगस्त से 1 सितम्बर तक का समय निर्धारित है। अभी भी 15 दिन का समय बाकी है। आयोग के दरवाजे सबके लिए खुले हैं।”
चुनाव आयोग ने इस बात पर चिंता जताई कि या तो राजनीतिक दलों के नेताओं तक बीएलए की सत्यापित आवाज नहीं पहुंच रही है या फिर वह जमीनी सच को नजरअंदाज करके भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। आयोग ने साफ तौर पर कहा कि जमीनी स्तर पर सभी मतदाता, सभी राजनैतिक दल और सभी बीएलओ मिलकर पारदर्शी तरीके से कार्य कर रहे हैं, सत्यापित कर रहे हैं और वीडियो टेस्टिमोनियल भी दे रहे हैं।
आयोग ने 7 करोड़ से अधिक बिहार के मतदाताओं की बात करते हुए कहा कि सभी स्टेकहोल्डर एसआईआर को पूर्ण रूप से सफल बना रहे हैं। जब सभी वोटर्स हमारे साथ खड़े हैं तो दोनों की साख पर कोई प्रश्नचिन्ह खड़ा नहीं हो सकता है।
विपक्ष की तरफ से समय पर मतदाता सूची में त्रुटियां साझा न करने और कोर्ट में भी कोई याचिका दायर नहीं करने पर सवाल उठाते हुए आयोग ने कहा कि वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल करके जनता को गुमराह करने का असफल प्रयास भारत के संविधान का अपमान है।
मशीन रिडेबल मतदाता सूची को लेकर भी आयोग ने जवाब दिया, “सुप्रीम कोर्ट 2019 में कह चुका है कि यह मतदाता की निजता का हनन हो सकता है। हमने कुछ दिन पहले देखा कि कई मतदाताओं की फोटो को उनकी अनुमति के बिना मीडिया के समक्ष इस्तेमाल किया गया।” इसी दौरान, आयोग ने पूछा, “क्या अपनी माताओं, बहू, बेटियों समेत किसी भी मतदाता की सीसीटीवी फुटेज हमें साझा करनी चाहिए?”
‘वोट चोरी’ के आरोपों को लेकर आयोग ने कहा, “मतदाता सूची में जिसका नाम होता है, वही अपने चयनित प्रत्याशी को वोट डालता है। लोकसभा के चुनाव की प्रक्रिया में 1 करोड़ से भी अधिक कर्मचारी, 10 लाख से भी अधिक बीएलए और 20 लाख से भी अधिक उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट्स कार्य करते हैं। इतनी पारदर्शी प्रक्रिया में कोई भी मतदाता वोट की चोरी आखिर कैसे कर सकता है? कुछ मतदाताओं की ओर से दोहरे मतदान के आरोप लगाए गए। सबूत मांगने पर जवाब नहीं मिला। ऐसे मिथ्या आरोपों से न तो चुनाव आयोग डरता है, न ही कोई मतदाता।”
राहुल गांधी बोले- अनुराग ठाकुर ने भी यही बात बोली, उनसे हलफनामा नहीं मांगा
EC की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बिहार में रविवार को राहुल गांधी ने कहा- चुनाव आयोग मुझसे हलफनामा मांगता है। लेकिन जब अनुराग ठाकुर वही बात कहते हैं, जो मैं कह रहा हूं, तो उनसे हलफनामा नहीं मांगा जाता।
राहुल ने कहा कि EC ने जिंदा लोगों को मरा हुआ घोषित कर दिया। EC ने एक बार फिर डिजिटल, मशीन-रीडेबल वोटर रोल देने से इनकार कर दिया। CCTV फुटेज न देने के लिए बहाने पर बहाना बना रही है। भाजपा और चुनाव आयोग ने मिलकर बेंगलुरु सेंट्रल में चोरी की है। यह मैं गारंटी से कह रहा हूं। हमारे पास पूरे सबूत हैं और हमने पूरे देश को दिखा दिया कि वहां 1 लाख फर्जी वोटर हैं।
राहुल गांधी ने कहा जवाब देना पड़ेगा : ’65 लाख वोटर कहां गए?’- कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को बिहार के सासाराम से अपनी 16 दिवसीय ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत करते हुए चुनाव आयोग और सत्ताधारी भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि SIR प्रक्रिया के तहत लाखों वैध मतदाताओं के नाम जानबूझकर हटाए जा रहे हैं। “पूरा देश अब जान चुका है कि BJP और चुनाव आयोग मिलकर वोट चुरा रहे हैं। बिहार में यह चुनावी साजिश है, जिसे हम नहीं चलने देंगे।” – राहुल गांधी
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि SIR की प्रक्रिया के दौरान करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम लिस्ट से हटा दिए गए हैं, और चुनाव आयोग को इसका जवाब देना चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे को लोकतंत्र और संविधान की रक्षा का मामला बताया।
सासाराम के बियाडा मैदान में हुई इस रैली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ इंडिया गठबंधन के कई बड़े नेता शामिल हुए। मंच पर RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव, पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, CPI-ML महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, CPI(M) की सुभाषिनी अली, VIP प्रमुख मुकेश सहनी, CPI नेता संतोष कुमार पी समेत कई नेता उपस्थित रहे।
SC का आदेश – आयोग बताए 65 लाख नाम क्यों हटाए गए- इससे पहले, 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने SIR प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह यह स्पष्ट करे कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से जिन 65 लाख नामों को हटाया गया है, उनमें से किसे क्यों हटाया गया और किन आधारों पर।
चुनाव आयोग की सफाई⤵️
CEC ज्ञानेश कुमार ने प्रेस वार्ता में यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग सभी राजनीतिक दलों का पंजीकरण करता है, इसलिए उन पर पक्षपात का आरोप निराधार है। उन्होंने कहा, “हम निडरता के साथ गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला, युवा और सभी धर्मों के मतदाताओं के साथ खड़े हैं और आगे भी खड़े रहेंगे। जय हिंद, जय भारत।