उत्तराखंड: देवभूमि की ज्योति भट्ट ने शर्क टैंक में लगाया कुमाऊनी तड़का, एंटरप्रेन्योर को भी कुमाऊनी बुलवाई

Uttarakhand News: साल 2020 के बाद से युवाओं ने सोशल मीडिया को एक हथियार बना दिया है। वह अपने प्रतिभा व अपने अभिनय को प्लेटफॉर्म पर शेयर करते हैं। कई बार यही प्लेटफॉर्म के जरिए युवाओं ने मायानगर तक का सफर तय किया है। पिछले दिनों आपने शार्क टैंक इंडिया नाम का शो देखा होगा, जिसमें एंटरप्रेन्योर्स के काम से प्रभावित होकर इंवेस्ट किया जा रहा था।

इस शो में अशनीर ग्रोवर, अमन गुप्ता,अनुपम मित्तल, ग़ज़ल अलघ, नमिता थापर,पीयूष बंसल और विनिता सिंह जैसे बड़े उद्यमी मौजूद थे। शार्क टैंक इंडिया को युवाओं ने खूब पसंद किया। हालांकि शो से प्रभावित होकर आशीष चंचलानी ने कॉमेडी बेस्ड सस्ता शार्क टैंक बनाया, जिसकी तारीफ खुद शार्क टैंक इंडिया के जजों ने भी की थी।

यह भी पढ़ें 👉  भर्ती ,भर्ती, भर्ती! यहां आई दनादन भर्ती!पढ़िए पूरी खबर

इसी तरह मनोरंजन के लिए अल्मोड़ा निवासी ज्योती भट्ट ने शार्क टैंक को पहाड़ी वर्जन में बनाया है जो काफी फनी है। उन्होंने इस वीडियो में नमिता और अशनीर की नकल उतारी है।

ज्योति भट्ट के वीडियो में कुमाऊंनी भाषा का इस्तेमाल किया गया है और इस वजह से उसे दर्शक मिले हैं। ज्योती भट्ट पिछले 5 साल से आकाशवाणी अल्मोड़ा से जुड़ी हैं। वह मूल रूप से फुलाडी बाड़ेछीना की रहनी वाली हैं। मौजूदा वक्त में वह ढूंगाधारा अल्मोड़ा में रहती हैं।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंडः देवभूमि की इस बेटी ने कायम की अनूठी मिसाल,बनी कईयों के लिए प्रेरणाश्रोत

ज्योति ने प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर बाड़ेछीना से की। जबकि इंटर GGIC अल्मोड़ा से किया। अल्मोड़ा एसएसजे परिसर से उन्होंने ग्रेजुेएशन और लॉ की पढ़ाई की। ज्योती के पिता सहायक खंड विकास अधिकारी है और मां गृहणी हैं। स्कूल और कॉलेज से ही उन्हें थियेटर में रूचि थी।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड- इस खास मौके पर जब पिछौडे में नजर आयी इस जिले की SSP, पारंपरिक वेशभूषा में दिया यह संदेश

उन्होंने कई सामाजिक एक्ट में भी भाग लिया। कोरोना काल 2020 और 2021 में लॉकडाउन के दौरान ज्योति अपनी रूचि पर काम करना शुरू कर दिया। वह अपनी संस्कृति के लिए काम करना चाहती थी और इसलिए वह कुमाऊंनी भाषा में वीडियो बनाती हैं ताकि युवा वीडियो को देखने के साथ पहाड़ी भाषा भी सीखें। ज्योती ने अपनी दादी ( स्वर्गीय) से पहाड़ी भाषा के बारे में जाना और उन्ही से प्रेरित होकर वह युवाओं को पहाड़ी भाषा से जोड़ने की कोशिशों में जुट गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *