हल्द्वानी- पलायन की दास्तां कहता है “गौ की याद” गीत, हो गया लॉंच

उत्तराखंड में पलायन की दास्तां पर बना प्रोफेसर डॉ. राकेश रयाल का (Dr. Rakesh Rayal Professor UOU) गीत “गौ की याद” रिलीज हो गया है। उत्तराखंड के लोक संगीत को संवारने में कई कलाकारों ने बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। कुमांऊनी संगीत हो या गढ़वाली हमेशा से कलाकारों ने देवभूमि की रीति-रिवाजों, तीज-त्यौहारों, पलायन, ग्रामीण जीवन और जंगल-नदियों को लोकगीतों के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का काम किया है। अब एक ऐसा ही गीत बड़े समय बाद सुनने को मिला है। जिसमें डाॅ. राकेश रयाल और मीना राणा ने अपनी आवाज दी हैं। जिसके सुनकर आपको अपने गांव की याद आ जायेगी।

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इस गीत में डाॅ. राकेश रयाल का साथ प्रसिद्ध लोकगायिका मीणा राणा (Uttarakhandi Folk Singer Meena Rana New Song) ने दिया है। ऐसे गीत कम की सुनने को मिलते है, जो पहाड़ की हकीकत को बयां करते है। यह गीत आरसी म्यूजिक एंड एंटरटेनमेंट यूट्यूब चैनल से रिलीज हुआ है। गीत को खुद डाॅ. राकेश रायल ने लिखा है, जबकि म्यूजिक जाने-माने संगीतकार संजय कुमौला ने दिया है। वही अपनी आवाज के साथ-साथ डाॅ. राकेश रयाल ने इस वीडियो गीत में ज्योति बिष्ट के साथ शानदार अभिनय से दर्शकों को दिल जीता है। डॉ. राकेश रयाल (Dr. Rakesh Rayal UOU) वर्तमान में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है। उन्होंने समय- समय पर पहाड़ की पीड़ा, रीति -रिवाजों और तीज-त्यौहार को अपनी लेखनी के माध्यम से जन जन तक पहुंचाने का काम किया है।

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इससे पहले भी गायक डाॅ. राकेश रयाल कई गीत गा चुके है। मायली भाना, कुछ तो बात हौली, बसी जौला गैरसैण, जाण छौ बॉर्डर प्यारी, मेरी सुआ जागि जावा, स्याली सुरमा, कभी सुख मा कभी दुख मा, मेरु गौ रोंत्यालु समेत कई सुपरहिट गीत दे चुके है। अब “गौ की याद” गीत से पहाड़ के पलायन पर गांव के हाल कैसे है और पहले गांव कैसे थे। इसे उन्होंने अपने शब्दों में चित्रण किया गया। गांव में खाली पड़े घरों का जिक्र और पहाड़ के रीति-रिवाज, शहर में रहकर पहाड़ की याद का ऐसा मार्मिक चि़त्रण किया है कि आपके आंसू छलक जायेंगे। गीत के माध्यम से उन्होंने गांव चलने की बात की है। जिसे सुनकर आपको अपने गांव की याद जरूर आयेंगी।

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