उत्तराखंड: देवभूमि से जुड़ा है जुबिन नौटियाल का दिल, इगास पर्व पे गाया यह गीत!

उत्तराखंड/ कुमाऊं में दीवाली से 11 दिन बाद इगास को बूढ़ी दीवाली के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व के दिन सुबह मीठे पकवान बनाए जाते हैं। रात में स्थानीय देवी-देवताओं की पूजा अर्चना के बाद भैला एक प्रकार की मशाल जलाकर उसे घुमाया जाता है और ढोल-नगाड़ों के साथ आग के चारों ओर लोक नृत्य किया जाता है।

किंतु समय के साथ-साथ पहाड़ों से हो रहे पलायन से यह पर्व कहीं ना कहीं खत्म सा होता जा रहा है । उत्तराखंड में यह संस्कृति और परंपरा बनी रहे इसलिए इगास पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है।

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इगास पर्व की सबसे खास बात यह है कि इस पर्व को मनाते समय आतिशबाजी नहीं करी जाती , बल्कि पारंपरिक भैलों के साथ खेल कर मनाते हैं ।पहाड़ों से चीड़ के छील ,पारंपरिक वाद्य यंत्र बजा कर इस पर्व को मनाया जाता है ।कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को लोक पर विकास मनाया जाता है पहले पहाड़ में लोग इसे भव्य रुप में मनाते थे लेकिन आप पलायन के चलते यह चीजें लगभग खत्म होने के कगार पर है इसलिए यह संस्कृति आने वाले बच्चों तक भी जाए और बच्चे इस पर्व को जाने इसलिए पहाड़ों में अभी भी इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है।

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इगास पर्व पर सब के दिलों पर राज करने वाले जुबिन नौटियाल ने अपनी सुरीली आवाज में इस पर्व के गीत को गाया है और सब को प्यार भरा संदेश दिया है। जुबीन का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खाता वायरल हो रहा है ।जुबिन की यादों में उत्तराखंड आज भी बसता है।

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