उत्तराखंड :”असंभव भी है सम्भव” पहाड़ के इस युवा ने सच कर दी ये बात “
Mukteshwer News: उत्तराखंड के पहाड़ सदियों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते रहे। अपनी खूबसूरती ,अपने सदाबहार सौंदर्य से जहां एक ओर पर्यटकों को यह लुभाते रहे हैं वहीं दूसरी ओर आम लोग भी इन पहाड़ों के आकर्षण से बच नहीं पाए। पहाड़ों पर रहने और बसने का सपना तो सभी देखते हैं किंतु पहाड़ों मैं जिंदगी जीने के जो आभाव हैं उसके बारे में सोच कर लोग वहां बसना नहीं चाहते ।
यही कारण है कि चारों तरफ नैसर्गिक, प्राकृतिक खूबसूरती होने के बाद भी लोग पहाड़ों से पलायन कर रहे हैं । लोगों का मानना है कि पहाड़ बस घूमने और दो-चार दिन रहने के लिए ही ठीक है ,किंतु यदि पूरी उम्र वहां बिताने पड़े तो यह उनके लिए असंभव है। किंतु बढ़ते पलायन के बाद भी एक आश्चर्यजनक घटना सामने आई है । दिन-रात उत्तराखंड में बढ़ते पलायन होने के बाद भी यहां के एक युवा ने अपने गांव में रह कर स्वरोजगार करके लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया है । इस युवा की खास बात यह है कि यह शहर में रहकर वापस पहाड़ की तरफ आया है और पहाड़ में रहकर स्वरोजगार करने का इसका जो निश्चय था इसको यह बिल्कुल सही मानता है।
जी हां हम बात कर रहे हैं मुक्तेश्वर पीलीबंगा निवासी संजय नयाल की । संजय भी एक आम युवा की तरह गांव से पढ़ लिखकर शहर की तरफ जाकर नौकरी करने के इच्छुक थे किंतु थोड़े समय पश्चात उन्हें यूं लगा कि उन्हें अपना स्वयं का कोई कार्य करना चाहिए और उनके इसी निश्चय से आज उन्होंने लोगों के बीच में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है। संजय ने आज से 1 साल पहले पहाड़ी उत्पादों को जन जन तक पहुंचाने का कार्य प्रारंभ किया ।
आज संजय अपने इस फैसले से बहुत खुश हैं और इस कार्य के जरिए ही लगातार उन्नति पा रहे हैं । हालांकि इस कार्य को करने में संजय को काफी चुनौतियों का सामना भी करना पड़ा या यूं कहने कि उनका यह सफर आसान नहीं था ।धानाचुली से इंटर पास करने के बाद उन्होंने हल्द्वानी शहर का रुख किया बीएससी की पढ़ाई करने के लिए उन्होंने कॉलेज में प्रवेश लिया पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 2 साल तक किसी निजी कंपनी मैं कार्य किया । किंतु इसके बाद भी संजय का मन उस कार्य में ना लगा और उन्होंने 2017 में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी । प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के साथ ही उनके दिमाग में एकाएक स्वयं का स्वरोजगार करने का आइडिया आया।
मुक्तेश्वर अनेक प्रकार के फलों के लिए भी जाना जाता है बस उन्हीं फलों को मार्केट में पहुंचाने के लिए संजय नयाल ने रिसर्च शुरू कर दी । उनके पिता श्री गणेश नयाल जी और माता श्रीमती लीला नयाल जी खेती से जुड़े हुए थे तो कुछ उत्पाद पहले से ही उनके घर पर बनते रहे थे ।
हम सभी जानते हैं कि वर्तमान समय में फेसबुक ऑनलाइन माध्यम ,सोशल साइट्स किसी भी प्रकार के बिजनेस करने के लिए सर्वोत्तम है ।बस संजय ने भी फेसबुक पर जैम और आचार बेचने के लिए एक पोस्ट साझा किया बस फिर क्या था ? लोगों ने संजय के पोस्ट के बहुत अच्छे रिस्पांस दिए । इसके पश्चात संजय को मुक्तेश्वर में फलों को ऑनलाइन बेचने का ख्याल आया । संजय ने अपने ब्रांड को” टेस्ट ऑर्गेनिक “नाम दिया है ।अपने स्वरोजगार का सफर शुरू करने वाले संजय को शुरुआत में केवल भले ही जैम और आचार से ही अपना स्वरोजगार शुरू करना पड़ा हो किंतु वर्तमान में संजय नयाल के करीब 15 से ज्यादा ऑर्गेनिक उत्पाद पूरे देश में लोगों तक पहुंच रहे हैं एक बार में वह बुरांश के जूस की 1200 यूनिट भी बेच चुके हैं संजय की उपलब्धियां अब अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी ऑनलाइन ऐप्स पर भी आती हैं ।
संजय की सराहनीय बात यह है कि इन सभी उत्पादों को संजय ने पहाड़ों में रहकर ही बनाया है और अपने स्थानीय लोगों की इसमें मदद भी ली है जिससे कि वह वहां न सिर्फ पहाड़ी उत्पादों को विश्व के लोगों तक पहुंचा रहे हैं बल्कि पहाड़ की पहचान भी बढ़ा रहे हैं , और साथ ही साथ अपने स्थानीय लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। संजय ने यह साबित कर दिया है कि किसी भी कार्य को करने के लिए पहाड़ों से पलायन करना आवश्यक नहीं है बल्कि अगर आवश्यक है तो आपकी उस कार्य के प्रति निष्ठा है जो असंभव को भी संभव कर सकती है ।