उत्तराखंड: यहां पारंपरिक तरीके से मनाया गया हरेला पर्व, पढ़िए पूरी खबर

Uttrakhand News: पार्वती प्रेमा जगाती सरस्वती विहार, नैनीताल में आज उत्तराखण्ड के पहाड़ी संस्कृति और इसके त्यौहारों का प्रकृति के साथ खास सम्बन्ध स्थापित करने वाला एवं प्रकृति को समर्पित हरेला पर्व धूम धाम से मनाया गया।

आज के दिन सर्वप्रथम वन्दना सत्र में हरेला पर्व पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में सामाजिक विज्ञान के अध्यापक श्री धनश्याम जी ने सभी को हरेला पर्व कब से मनाया जाता है ? और क्यों मनाया जाता है? जैसे विषयों पर प्रकाश डालते हुए कुमाउनी भाषा में कहा- जी रया, जागि रया, यो दिन, यो महेंण के नित नित भ्यअने रया….. इसके बाद कक्षा 7 के मृदुल पन्त ने हरेला पर अपने विचार रखे तथा कक्षा सातवीं के ही आयुष पाण्डे, यर्थाथ शुक्ला और कक्षा छः के प्रदुम्यन बघेल ने हरेला पर्व पर मधुर एवं कर्ण प्रिय गीत प्रस्तुत किया।

.कार्यक्रम के अन्त में विद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ० सूर्य प्रकाश जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि वास्तव में प्रकृति को समर्पित हरेला पर्व सम्पूर्ण विश्व में मनाया जाना चाहिए, यदि हम हरेला पर्व के सिद्धान्तों पर चले तो ग्लोबल वार्मिगं नियन्त्रित हो जायेगी और पृथ्वी पुनः जीवन्त हरी-भरी एवं जीवन दायिनी हो जायेगी।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड: उत्तराखंड की पुलिस का माननीय चेहरा सामने आया, जानिए कैसे

उन्होंने यह भी कहा कि प्रकृति में नमी इतनी महत्वपूर्ण है कि जब व्यक्ति पौधा लगाने जाता है तो प्राकृतिक तौर पर वह पौधा फलता-फूलता है, अर्थात नमी पौधों का संरक्षण करती है। इसी प्रकार मनुष्य के व्यक्तित्व में नमी उसको उत्तरोतर फलने-फूलने में मूल रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

यह भी पढ़ें 👉  देहरादून -(School News) अब बच्चों को परमानेंट एजुकेशन नंबर के जरिए मिलेगी टीसी

कार्यक्रम के अन्त में प्रधानाचार्य महोदय ने उत्तराखण्ड में अत्यन्त प्रसिद्ध हरेला पर्व की समस्त देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

आज के इस पर्व पर प्रधानाचार्य डॉ० सूर्य प्रकाश एवं विद्यालय के अध्यापक गणों तथा समस्त स्टॉफ व छात्रों द्वारा वृक्षारोपण भी किया गया।

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड: देवभूमि का यह युवा बना सबके लिए प्रेरणा स्रोत, पढ़िए पूरी खबर!

कार्यक्रम का संचालन श्री अरूण यादव जी ने किया व कार्यक्रम में शैक्षिक प्रभारी श्री उमेश शर्मा, डॉ० डी० एस० नयाल, श्री अतुल पाठक, श्री रजत सिंह सहित सभी आचार्य गण उपस्थित थे।