Uttrakhand News: इस साल आयोजित हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर का नवा दीक्षांत समारोह यादगार बन गया। इस समारोह में उत्तराखंड की विभिन्न प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया और उपाधि प्रदान की गई।
केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर में पहली बार गृह विज्ञान में शोध शुरू हुआ और डॉक्टर पूजा शैलानी केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर में गृह विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाली पहली शोधार्थी बनी। डॉ पूजा ने प्रोफेसर रेखा नैथानी और डॉक्टर अनीता सती के मार्गदर्शन में अपना शोध कार्य पूरा किया और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
डॉक्टर पूजा को गृह विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त होने पर बंद पट्टी के लोगों ने शुभकामनाएं दी है गौरतलब है कि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर के नवे दीक्षांत समारोह में एक और जहां प्रसिद्ध लोक गायक गढ़ रतन नरेंद्र सिंह नेगी जी को लोक कला और संगीत में अतुल्य योगदान के लिए डॉक्टर ऑफ लेटर्स की उपाधि प्रदान की गई वही 147 पीएचडी ,10 एमफिल तथा 3659 स्नातकोत्तर उपाधि सहित कुल 3816 उपाधियां प्रदान की गई।
पूजा का जीवन बेहद संघर्ष में रहा बेहद सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली पूजा जब महज 1 साल की थी तो उनके पिताजी के समय मृत्यु से पूरे परिवार पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था जिसके बाद पूरे पूरे परिवार की जिम्मेदारी पूजा की मां आशा देवी पर आ गई सिंचाई विभाग श्रीनगर से सेवानिवृत्त आशा देवी ने विपरीत परिस्थितियों से सामना करते हुए और संघर्षों के बीच अपनी बेटी को हमेशा प्रोत्साहित किया और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी । सल्ला गांव की डॉक्टर पूजा ने प्राथमिक पढ़ाई सल्ला प्राथमिक स्कूल और दसवीं तक की पढ़ाई राजकीय इंटर कॉलेज पीपलकोटी से प्राप्त करने के पश्चात गढ़वाल विश्वविद्यालय से स्नातक और गृह विज्ञान से m.a. की डिग्री हासिल कि ।
जिसके बाद डॉक्टर पूजा ने गृह विज्ञान में शोध कार्य किया उसका शोध का विषय प्राथमिक शिक्षा के प्रबंधन एवं प्रगति में समुदाय की सहभागिता एवं सशक्तिकरण तथा जनपद चमोली का विशेष अध्ययन था ।
अपनी बेटी की सफलता पर खुश होकर आशा देवी कहती है कि आज उनका सपना पूरा हुआ ।मुझे अपनी बेटी पर नाज है छह भाई-बहनों में पूजा सबसे छोटी है। बहुमुखी प्रतिभा की धनी पूजा बचपन से ही पढ़ने में होशियार थी । पूजा ने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के उपरांत कहा कि आज मैं जो कुछ भी हूं अपनी मां के संघर्षों की वजह से हूं।
मैं अपनी इस उपलब्धि पर अपनी मां को कोटि-कोटि धन्यवाद करती हूं।
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